उत्तराखंड: आयुष्मान योजना का गोल्डन कार्ड होने पर भी नहीं मिला इलाज, नहीं बच पाई हार्ट की बीमारी से पीड़ित महिला
देहरादून : में गोल्डन कार्ड होने के बावजूद महिला को इलाज नहीं मिल पाया। हार्ट की बीमारी से पीड़ित महिला ने इलाज के अभाव में तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया।
सरकार ने गरीबों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैय्या कराने के लिए कई योजनाएं चला रही है। गरीबों को गोल्डन कार्ड दिए गए हैं, ताकि वो बेहतर इलाज करा सकें, लेकिन जब तक निजी अस्पतालों का लोभ और मनमानी खत्म नहीं होगी, तब तक ऐसी योजनाएं सफल नहीं होंगी। सरकार को ऐसे लोगों पर सख्त से सख्त एक्शन लेना चाहिए। उत्तराखंड के कोटद्वार में गोल्डन कार्ड होने के बावजूद एक बेटी को इलाज नहीं मिल पाया, परिजनों के पास उसके इलाज के लिए पैसे नहीं थे, नतीजा ये हुआ की इलाज ना होने की वजह से महिला ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। कोटद्वार के रमेशनगर की रहने वाली 30 साल की पिंकी प्रसाद को हार्ट की बीमारी थी। महिला की बाईपास सर्जरी होनी थी, कई दिन तक कोटद्वार के अस्पताल में भर्ती रहने के बाद उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया गया था। परिजन उसे इलाज के लिए देहरादून के कई अस्पतालों में लेकर गए, लेकिन वो जहां भी जाते अस्पताल प्रशासन उन्हें लाखों रुपये का कोटेशन थमा देता, गरीबी की वजह से परिजन असमर्थ थे।
परिजनों ने जैसे-तैसे देहरादून के ही एक अस्पताल में पिंकी को भर्ती करा दिया, जहां अस्पताल प्रशासन ने परिजनों को करीब ढाई लाख रुपये का कोटेशन दिया था। फीस काफी ज्यादा थी, इतनी रकम परिजन जुटा नहीं पाये और पिंकी ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। परिजनों का आरोप है कि उनके पास आयुष्मान कार्ड था, कई अस्पतालों में उन्होंने ये कार्ड दिखाया भी, लेकिन अस्पतालों ने फिर भी महिला का इलाज नहीं किया। आपको बता दें कि इससे पहले परिजनों ने गोल्डन कार्ड का लाभ ना मिलने को लेकर 22 फरवरी को तहसील में धऱना भी दिया था, पर कोई फायदा नहीं हुआ। महिला के पास बीपीएल और आयुष्मान कार्ड भी था, फिर भी उसे इलाज नहीं मिल पाया। बड़ा सवाल ये है कि गरीबों के लिए चलने वाली योजनाओं की मॉनिटरिंग क्यों नहीं हो रही, निजी अस्पतालों में गोल्डन कार्ड होने के बावजूद मरीजों को टरकाया जा रहा है, ऐसी शिकायतें लगातार मिल रही है, लेकिन अस्पतालों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई नहीं हो रही।