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उत्तराखंड: सूबेदार यमुना प्रसाद पनेरू की शहादत से पूरा पहाड़ शोक में डूबा, अधूरा रहा शहीद पनेरू का सपना

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उत्तराखंड: सूबेदार यमुना प्रसाद पनेरू की शहादत से पूरा पहाड़ शोक में डूबा, अधूरा रहा शहीद पनेरू का सपना


हल्द्वानी: जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर में एक बचाव अभियान के दौरान हल्द्वानी के रहने वाले सूबेदार यमुना प्रसाद पनेरू अपने साथी को बचाते हुए शहीद हो गये थे, रविवार की सुबह चित्रशिला घाट रानीबाग में सैन्य सम्मान के साथ अंत्येष्टि की गई व सलामी दी गई। इससे पूर्व सूबे के शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डे तथा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व केबिनेट मंत्री बंशीधर भगत ने शहीद के घर पहुचकर पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित किये तथा श्रद्धांजलि दी। शहीद का पार्थिव शरीर जैसे ही प्रातः उसके घर पहुंचा तो शहीद की पत्नी, मां तथा बच्चे उसके पार्थिव शरीर से लिपटकर रोने लगे जिससे पूरा माहौल गमगीन हो गया । स्थानीय एवं गांव के लोगो ने शहीद सुबेदार यमुना प्रसाद के इस बलिदान को लेकर उन्हें नम आखाों से श्रद्धांजलि दी। इससे पूर्व आर्मी कैन्ट में शहीद को पुष्पचक्र अर्पित कर सलामी दी गई । चित्रशिला घाट पर प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिह रावत की ओर से परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने शहीद के शव पर पुष्पचक्र अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी। वहीं जिलाधिकारी सविन बंसल तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार मीणा ने भी पुष्पचक्र अर्पित कर भावभीनी श्रद्दांजलि अर्पित की।

शहीद सूबेदार यमुना प्रसाद पनेरू के शव को उनके सात वर्षीय पुत्र यश पनेरू तथा भाई भुवन पनेरू द्वारा मुखाग्नि दी गई। संस्कार के समय स्व0 पनेरू के भाई चन्द्र प्रकाश पनेरू मौजूद थे। शहीद के अन्तिम संस्कार में विधायक नवीन दुम्का, रामसिंह कैड़ा, सांसद प्रतिनिधि एवं जिलाध्यक्ष भाजपा प्रदीप बिष्ट, पूर्व केबिनेट मंत्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल, ब्लॉक प्रमुख रूपा देवी, कर्नल अमित महोन, ले.कर्नल विजय आनन्द जोशी, विकास कुमावत, नायब सुबेदार आनन्द सिह, दिवंगत की माता माहेश्वरी देवी, पत्नी ममता,रघुवर जोशी,बहादुर नदगली,कृष्णानन्द जोशी, भुवन प्रसाद, मोहन सिह मेहरा, मोहन बिष्ट, डुगर मेहरा, मदन सिह, मुकेश परगंई, डा0 डीके पनेरू, आन सिह मटियाली, उपजिलाधिकारी विवेक राय के अलावा बडी संख्या में भूतपूर्व सैनिक एवं क्षेत्रवासी मौजूद थे।


उत्तराखंड के इस जांबाज लाल को पर्वतारोहण से गहरा लगाव था। वो रिटायर होने के बाद भी पर्वतारोहण से जुड़े रहना चाहते थे, लेकिन अफसोस की उनका ये सपना पूरा ना हो सका। यमुना प्रसाद पनेरू पहाड़ के युवाओं को पर्वतारोहण के लिए तैयार कर कुशल पर्वतारोही बनाना चाहते थे। इसके लिए वो एक ट्रेनिंग सेंटर भी खोलना चाहते थे। सेना में रहने के दौरान उन्होंने पर्वतारोहण में कई उपलब्धियां हासिल की। साल 2012 में उन्हें दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने का मौका मिला। इसके बाद कंचनजंघा और नंदादेवी पर भी उन्होंने तिरंगा फहराया। पर्वतारोहण की उनकी कुशल क्षमता को देखते हुए 2013 में सेना ने उन्हें दार्जिलिंग स्थित हिमालयन माउंटेनियरिंग संस्थान में बतौर प्रशिक्षक नियुक्त किया। 2014 में यमुना प्रसाद प्रशिक्षण देने के लिए भूटान भी गए।यमुना प्रसाद की शहादत की खबर मिलने के बाद से उनकी पत्नी ममता सदमे में है। ममता और उनके बच्चे बार-बार यमुना प्रसाद की फोटो देख कर रो पड़ते हैं। मां माहेश्वरी देवी बेसुध सी हो गई हैं। साल 2004 में माहेश्वरी देवी ने अपने पति को खो दिया था, अब वो जवान बेटे के चले जाने से सदमे में हैं।